मरने की भी हिम्मत नहीं होती
मरने की भी हिम्मत नहीं होती
जीवन में दुखो से भरा हो आँचल
या आँसुओ से भीगा हो फिर भी
किसी से कुछ कहने की जरूरत नहीं होती
मरने की भी हिम्मत नहीं होती।
चाहे लाख आए मुसीबतें
भूल जाते हैं हम
अमावस की रात में कभी
पूनम की रौशनी भी नहीं होती
मरने की भी हिम्मत नहीं होती।
अंधेरे में अकेले सफर में
चलने की हिम्मत नहीं होती
गिरते हैं संभलते हैं
चलते हैं जब हम हर डगर पर
किसी से मदद की उम्मीद नहीं होती
मरने की भी हिम्मत नहीं होती।
नहीं भूल पाता दिमाग उन लम्हों को
नहीं भर पाता अंतिम समय तक जख्म
अंदर से थक जाता हैं बेशक इंसान
ख्वाहिशें मर जाती हैं सारी।
कोई न कोई वजह मिल जाती हैं
जिम्मेदारियों को निभाने की
क्योंकि किसी के जाने से
जिंदगी खत्म नहीं होती
बस शायद इसीलिए कभी
मरने की भी हिम्मत नहीं होती।