मर्माहत
मर्माहत
तराने दुःख भरे कोई
अब किसको सुनाए।
वेदना से भीगे नयन
अब किसको दिखाए।
हृदय आहत मन प्रताड़ित
हृदय आहत मन प्रताड़ित।
रोम रोम छलनी आत्म विकलित
ऐसे में कोई जी कैसे पाएं।
प्राण वायु बिक रही है
रुग्ण को आरोग्य आलय
में भी बिस्तर नहीं है।
दुष्ट क्रोमा हर जगह
बैठा हए नज़रें गड़ाए।
तराने दुःख भरे कोई
अब किसको सुनाए।
वेदना से भीगे नयन
अब किसको दिखाए।