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Navni Chauhan

Romance Fantasy

4  

Navni Chauhan

Romance Fantasy

मोरे प्यारे कृष्णा

मोरे प्यारे कृष्णा

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ओ मोरे प्यारे कृष्णा !

मन प्यासा तोरे प्रेम को किसना,

किस विधि पाऊं प्रणय तुम्हारा,

जग- विरक्त मन हुआ जाए,

अब आओ थामो हाथ हमारा।


ओ मोरे प्यारे कृष्णा !

नैन तरसे तोरे दरस को कान्हा,

जी चाहे बस साथ तोहारा,

कब बुझाओगे स्पृहा हृदय की,

कब बरसेगा स्नेह तुम्हारा।


ओ मोरे प्यारे कृष्णा !

अश्रु लालायित तोरे चरण स्पर्श को,

मोर मुकुट बिहारी दरस को,

गिरिधर तोरे मुस्कान की तृष्णा

मेरा हृदय पुकारे कृष्णा- कृष्णा।


ओ मोरे प्यारे कृष्णा !

मन करे तो संग माखन चुराऊं,

भोर सांझ मैं धेनू चराऊं,

तोरे सान्निध्य का उत्कर्ष में पाऊं,

गोपी बन के रास रचाऊं,

मीरा बन तोरा भक्ति पाऊं।


ओ मोरे प्यारे कृष्णा !

संसार से कुछ बाकी न लेना,

अब प्रतीक्षा तोहरी हर रैना,

मन समंदर में लहरें जागी,

तोरे बिन अब मिले न चैना।


ओ मोरे प्यारे कृष्णा।

मैं तोहारी, तुम मोरे किसना,

प्रेम की चाकी में चाहूं पिसना,

तोरी बंसी की मधुर तान पुकारे,

चाहूं आजीवन इस पे थिरकना।


ओ मोरे प्यारे कृष्णा !

कान्हा अपना हाथ बढ़ा दो,

विस्तृत मोह मझधार से उबारो,

मन की डोरी तुम ही संभालो,

इस तुच्छ दासी का जीवन संवारो।


ओ मोरे प्यारे कृष्णा !

कान्हा मोरे नैन निहारो,

अपनी छवि मोरे मन उतारो,

तोरे दरस से मोहे तृप्त करा दो,

बड़े प्रेम से अपने हृदय लगा लो।


ओ मोरे प्यारे कृष्णा !

मोहे प्रेम इतना दो कृष्णा,

न बाकी रहे संसार से तृष्णा,

अपने चरणों की धूल बना दो,

हर प्रेम, वात्सल्य मुझ पर लूटा दो।


कृष्णा खुद से दूर न करना,

के व्यर्थ का होगा जीवन वरना,

मोहे बस तोरे प्रेम की तृष्णा,

ओ मोरे प्यारे कृष्णा,

ओ मोरे प्यारे कृष्णा।


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