मोरे प्यारे कृष्णा
मोरे प्यारे कृष्णा
ओ मोरे प्यारे कृष्णा !
मन प्यासा तोरे प्रेम को किसना,
किस विधि पाऊं प्रणय तुम्हारा,
जग- विरक्त मन हुआ जाए,
अब आओ थामो हाथ हमारा।
ओ मोरे प्यारे कृष्णा !
नैन तरसे तोरे दरस को कान्हा,
जी चाहे बस साथ तोहारा,
कब बुझाओगे स्पृहा हृदय की,
कब बरसेगा स्नेह तुम्हारा।
ओ मोरे प्यारे कृष्णा !
अश्रु लालायित तोरे चरण स्पर्श को,
मोर मुकुट बिहारी दरस को,
गिरिधर तोरे मुस्कान की तृष्णा
मेरा हृदय पुकारे कृष्णा- कृष्णा।
ओ मोरे प्यारे कृष्णा !
मन करे तो संग माखन चुराऊं,
भोर सांझ मैं धेनू चराऊं,
तोरे सान्निध्य का उत्कर्ष में पाऊं,
गोपी बन के रास रचाऊं,
मीरा बन तोरा भक्ति पाऊं।
ओ मोरे प्यारे कृष्णा !
संसार से कुछ बाकी न लेना,
अब प्रतीक्षा तोहरी हर रैना,
मन समंदर में लहरें जागी,
तोरे बिन अब मिले न चैना।
ओ मोरे प्यारे कृष्णा।
मैं तोहारी, तुम मोरे किसना,
प्रेम की चाकी में चाहूं पिसना,
तोरी बंसी की मधुर तान पुकारे,
चाहूं आजीवन इस पे थिरकना।
ओ मोरे प्यारे कृष्णा !
कान्हा अपना हाथ बढ़ा दो,
विस्तृत मोह मझधार से उबारो,
मन की डोरी तुम ही संभालो,
इस तुच्छ दासी का जीवन संवारो।
ओ मोरे प्यारे कृष्णा !
कान्हा मोरे नैन निहारो,
अपनी छवि मोरे मन उतारो,
तोरे दरस से मोहे तृप्त करा दो,
बड़े प्रेम से अपने हृदय लगा लो।
ओ मोरे प्यारे कृष्णा !
मोहे प्रेम इतना दो कृष्णा,
न बाकी रहे संसार से तृष्णा,
अपने चरणों की धूल बना दो,
हर प्रेम, वात्सल्य मुझ पर लूटा दो।
कृष्णा खुद से दूर न करना,
के व्यर्थ का होगा जीवन वरना,
मोहे बस तोरे प्रेम की तृष्णा,
ओ मोरे प्यारे कृष्णा,
ओ मोरे प्यारे कृष्णा।

