मोहन क्यों नहीं बुलाता पास
मोहन क्यों नहीं बुलाता पास
तुझे मोहन पास क्यों नहीं बुलाता राधिके
सागर सा तेरा प्यारा उसे क्यों नहीं रिझाता।
तेरी प्रीत सांची राधिके
आसमां सी बढ़ी राधिके
सैकड़ों रानी रखता है द्वारकाधीश राधिके
फिर वो तुझे सिर्फ दिल में ही क्यों रखता
तुझे मोहन पास क्यों नहीं बुलाता राधिके।
तेरा हर आंसू कहता राधिके
तू मोहन से अलग नहीं राधिके
हर जुग में तेरा प्यार पूजा जाता है राधिके
एक मोहन ही तुझसे अलगाव क्यों रखता
तुझे मोहन पास क्यों नहीं बुलाता राधिके।
मोहन संग मंदिर में तू राधिके
तेरी प्रीत की है मिसाल राधिके
बिन तेरे नाम मोहन कहां परिपूर्ण राधिके
तेरा त्याग हर प्रेमी में एक प्रेरणा भरता
तुझे मोहन पास क्यों नहीं बुलाता राधिके।

