मोहब्बत।
मोहब्बत।
पहले करीब आकर
चुपचाप दिल को चुराना,
फिर फासले बढाकर
यूँ दिल को तड़पना,
ये हुनर गर हो सीखना
तो मोहब्बत से सीखना,
अधूरी को पूरा करना और
पुरे को अधूरा कर जाना,
ये हुनर गर हो सीखना
तो मोहब्बत से सीखना,
टूटी कश्ती के किनारे
चुपचाप जाकर अकेले बैठना,
फिर मुर्दे के माफ़िक़
वहां भी गुरुर में ऐंठना,
ये हुनर गर हो सीखना
तो मोहब्बत से सीखना,
पिघलना और पिघल कर
चुपचाप बहते ही रहना,
फिर नज़रों ही नज़रों से
उसे सँभालने को कहना,
ये हुनर गर हो सीखना
तो मोहब्बत से सीखना !
