मोहब्बत सी
मोहब्बत सी
किसी ने पूछा कैसा हे वो....
ना इस सा ना उस सा, कैसे कहूँ कैसा है वो ...
उसकी हँसी सी हूँ मैं वो मेरी ख़ामोशी सा,
सौ सवाल भरे उसकी आँखों सी बातूनी मैं,
वो मेरी हँसी के पीछे छुपी कहानी सा.
वो कुछ मुझसा और मैं उसके जेसी
वो बोलता कम और मैं बहती लहरें ...
वो ठहरा हुआ किनारा सा मैं कश्ती उस किनारे की ...
वो चाहत बेपनाह मेरी और मैं उसकी पागलपन सी
वो है जुदा सा और मैं उससे जुड़ी हुई सी.
कैसे कहूँ कैसा है वो,वो कुछ मुझसा और मैं उसके जैसी.
कैसे कहूँ क्या है वो ...
वो मोहब्बत है बेपनाह मोहब्बत सी
वो मुझसा और मैं कुछ उस जैसी.!