STORYMIRROR

Rajit ram Ranjan

Romance

3  

Rajit ram Ranjan

Romance

मोहब्बत की ये रस्में...!

मोहब्बत की ये रस्में...!

1 min
293

वो ज़ुल्म-ऐ-सितम हमपे....

ढाये जा रहें हैं....

मोहब्बत कि ये रस्में...

हम निभाये जा रहें हैं...!


टूटकर बिखर गये होते....

सूखे पत्तों कि तरह....

बसंत-बहार बनके मेरी ज़िन्दगी में....

वो आये ना होते....!


हमें दिल से लगा के झूठी कस्में....

वो खाए जा रहें हैं....

वो ज़ुल्म-ऐ-सितम हमपे....

ढाये जा रहे हैं....

मोहब्बत कि ये रस्में....

हम निभाये जा रहें हैं...!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance