मोहब्ब्त की पहचान
मोहब्ब्त की पहचान
ये जो मोहब्ब्त की पहचान लिये बैठे हैं
होठों पे खामोशी, दिल में तूफ़ान लिये बैठे हैं।
अफ़वाह थी कि कोई तस्वीर छपी है उनकी
सुबह से ही हम सारे अखबार लिये बैठे हैं।
ख्वाहिश थी, आज उन्हें गले लगा कर रोयेंगे
आज ही वो हाथों में मेहंदी लगाये बैठे हैं।
मिलने को मुझे अपने ख़्वाबों में बुलाकर
अपने ही नींद पे वो पहरेदार लगाये बैठे हैं।।