मोहब्ब्त का चालान
मोहब्ब्त का चालान
हमारी मोहब्बत का भी, चालान कटा दो,
पैसे नहीं है बटुए में, चलो, जेल करा दो।
जेल हो तो सिर्फ, महबूब के ही घर में,
हमेशा साथ रहने की, एक रसीद बना दो।
रसीद पक्की ही बनवाना, मोहब्बत की है,
ज़रा इस पे, सात जन्म का लेमिनेशन भी करवा दो।
लेमिनेशन हिफाज़त, हर पल करेगी हमारी,
सज़ा का जब वक़्त आये, तो उम्र क़ैद दिला दो।
उम्र क़ैद होकर रहूँ, सिर्फ उनके ही बज़्म में,
फिर चाहो तो, मौत की आग़ोश में सुला दो।
फिर चाहो तो, मौत की आग़ोश में सुला दो।