मोबाईल का मायाजाल
मोबाईल का मायाजाल
तुझे क्यों बनाया था और
तूने क्या कर के छोड़ दिया।
सोचा था तू सब को करीब लाएगा,
तूने तो दो दिलों के बीच दीवार बना दी।
सोचा था तू दुनिया से सब को जोड़ेगा
तूने तो रिश्तों को भी तोड़ दिया।
अब तो कोई नहीं खुश साथ बैठने में
बस सब हैं व्यस्त अपने अपने में।
जिस मानव ने तुझे बनाया
आज उसी मानव को तू बना रहा है,
आशीर्वाद बन के आया था और
आज अभिशाप बन के रह गया।
जज्बात विहीन यंत्र बन के आया था
सोचा कि तू जज्बातों से जोड़ेगा
तूने तो जज्बातों को ही मार दिया।
इन्सान को पत्थर बना के छोड़ दिया।
सोचा था कि तू सब को आबाद करेगा
तूने तो सब बरबाद करके छोड़ दिया।
तुझे क्यों बनाया था और
तूने क्या करके छोड़ दिया।
