मंज़ूर नहीं मुझे..
मंज़ूर नहीं मुझे..
तेरे दहलीज पर मेरे सिसकीयों का,
दम तोड़ जाने के बाद,
यूँ तेरा लौट आना मंज़ूर नहीं हैं मुझे....
तेरे फरेब पर मेरे भरोसे का दम तोड़ देने के बाद,
यूँ तेरा माफी माँगना मंज़ूर नहीं मुझे...
हर बार तेरे रूँठने पर,मैंने मनाना छोड़ देने के बाद,
मेरे रूँठने पर तेरा मनाना मंज़ूर नहीं मुझे...
मेरी जिंदगी पर तेरे दिये बेवफाई के दाग के बाद,
अब तेरी सफाई में कुछ भी सुनना -कहना मंज़ूर नहीं हैं मुझे...
तेरा नाम को तुने किसी और के साथ जोड़ लेने के बाद,
अब तेेेेरे पता भी मुझसे जुड़े मंज़ूर नहीं हैं मुझे...
तेरे पैंरो के हर आखरी निशान को मिटा देने के बाद,
यूँ तेरा मेरे गलियों घूमना मंज़ूर नहीं हैं मुझे...
तेरे दिये हर दर्द के तोहफे को लौटा देने के बाद,
अब तेरा महरम बन के लौट आना मंज़ूर नहीं हैं मुझे...
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बस ...अब मंज़ूर नहीं हैं मुझे......
