मंत्री खाएँ मलाई
मंत्री खाएँ मलाई
नागरिकों ने जिम्मेदारी खूब निभाई
टैक्स भरा उतना जितनी हुई कमाई।
फिर क्यों सरकारों ने निर्यात किया
शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और सफ़ाई।
जब हुए इलेक्शन, बजे शंखनाद हैं,
नेताओं ने जाति धर्म की करी दुहाई।
बढ़े इमोशन मतदाता के तब वह भूला
स्वरोजगार, न जाने होती क्या कमाई।
हुई काउंटिंग, मंत्री बने विधायक जी
त्राहिमाम में वोटर्स, मंत्री खाए मलाई।।
