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संजय असवाल "नूतन"

Abstract

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संजय असवाल "नूतन"

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मनका

मनका

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१. उनकी मुस्कराहट के दीवाने थे कभी हम,

ये सोच कर ही आज हंस देते हैं।


२.मुझसे एक वादा कर,

साथ रहे ना रहे,

जहन मे खुद के मुझे जिंदा रखना।


३.दिल में तूफ़ान बड़ी हलचल सी है 

 मुझे जाना कहां था,

पहुंच कहां गया मैं।


४.खुद को मुझसे तुम कभी दूर ना करना,

तेरे कांधे की उम्रभर जरूरत रहेगी मुझे।


५.बेवजह तो नहीं था तुमसे यूं मिलना,

गुजरे पलों का हिसाब जो बाकी था।


६.किसने रोका है तुम्हें,

ख्वाबों में आने से,

दिल में हसरत है तो बेखौफ आ जाया करो।


७.तू आके मेरे ख्वाबों में बस मुस्करा देना,

तेरी यादों के साए में एक उम्र गुजार लूंगा मैं।


८.मेरे इश्क की अजीब दास्तां हो गई,

बैठा था सोच के उनको,

जाने कब सुबह से शाम हो गई।


९.इश्क में बेशक मैंने धोखे खाए,

पर इश्क क्या होता है ये मैं अब जान गया।


१०.सर्दी की ढलती शाम,

 इश्क संग हो गरमा गर्म चाय,

तो क्या बात होगी।


११.तुम भुलाना भी चाहो गर मुझे,

भुला ना पाओगी,

मेरा इश्क गुड़ की चाशनी है,

उम्र भर होंठो पर स्वाद रहेगा।


१२.होने देना था दर्द इस निकम्मे दिल को साहेब,

इसने इश्क में जज्बातों से खेला है।


१३.फिलहाल तो नहीं है फुर्सत तेरी यादों के लिए,

अभी चोट खाया हूं इस निकम्मे इश्क में।


१४.आपने जरा देर कर दी आने मे साहेब,

दिल के दरवाजे पर किसी और की दस्तक हो गई।


१५. क्या मालूम था कि अगले मोड़ पर वो फ़िर मिल जाएंगे हमें,

जिन्हे भुलाने में वर्षों लगे।


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