STORYMIRROR

Dhanjibhai gadhiya

Drama Classics

4  

Dhanjibhai gadhiya

Drama Classics

मनका मोर

मनका मोर

1 min
355


छेल छबिली मै हुं बलमा,

तुं है मेरे मनका मोर,

साँवरी सूरत, मोहिनी मूरत,

लगती है मुज़े अनमोल। 


मन मंदिरमें आकर मुज़को,

सताता है तुं चित्तचोर,

तेरी छटा है ऐसी निराली,

दिलमें मचाता है शोर।


नटखट नटवर त् त् थै नाचकर,

बहाता है प्यारका धोध,

छेल छबिली मै हुं बलमा,

तुं है मेरे मनका मोर। 


तेरे बिना मै नहीं रहे पाती,

मिलनकी तड़प करे ज़ोर,

भान भलाती है तेरी"मुरली"

क्युं बज़ाता है घनघोर।


बनी हुं तेरी प्रेम दिवानी,

ज़ोड़ दे प्यारका दोर,

छेल छबिली मैं हूँ बलमा,

तुं है मेरे मनका मोर। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama