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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Action Inspirational

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Action Inspirational

मंजिल से पहले दौड़ना चाहता हूं

मंजिल से पहले दौड़ना चाहता हूं

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लेखनी से सारा संसार घायल होता है,

और तलवार से सिरफ इंसान होता है।


लाख टका की लेखनी शेरों के शब्द,

कौन कहता दुश्मन होते नहीं निशब्द।


मैं खुदाई से पहले कर्म की रश्मियाँ चाहता हूं।

योद्धा हूं सो भाग्य से पहले लड़ना चाहता हूं।


तस्सब्बुर तो फितरत है गम उठाना चाहता हूं।

मैं संजीव हूं मंजिल से पहले दौड़ना चाहता हूं।


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