STORYMIRROR

अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Romance

2  

अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Romance

मन तो मन है आकर्षण का

मन तो मन है आकर्षण का

1 min
76

मन तो मन है आकर्षण का, 

कभी उमड़ा तो कभी शान्त। 

दृश्य इसकी कल्पना है, 

और मंथन इसका सार।

मोहब्बत को इतना ही इंतजार,

तू वादा निभाने आ जान निसार।

दिल तेरी दुआ में धड़कन बना प्यार ,

गनीमत ना हो जिन्दगी तेरे बगैर नाकाम।

हमारे लबों पे नाम तेरी दिल्लगी हो,

तो सजदा कर आकर तमन्ना जिंदगी हो।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance