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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Action

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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Action

मन को संभाल लूँ

मन को संभाल लूँ

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मन को संभाल लूँ य़ा सवालात को 

तुमको जवाब दूँ य़ा गुजरे हालात को 

अच्छा नहीं है ऐसे तडपना मेरे हुजूर 

कागज की नाव दूँ य़ा दिली ख्यालात को !


मैं नासमझ सही, तुम्हे चाहता तो हूँ 

उन बेतरह बयारों की मानता तो हूँ 

तुम तो बेकदर बेचैं बेपरवाह जिस तरह 

चाँद की छावं दूँ य़ा किसी आफताब को !


ऐसे ही होते हैं आज बेपरदे इस जगह 

सुनकर हसी आवाज बेदर्दे जिस जगह 

कुछ तो सुनों उनकी सिमटी हुई सौगात 

तुमको सवांर दूँ य़ा किसी माहताब को।


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