मन को संभाल लूँ
मन को संभाल लूँ
मन को संभाल लूँ य़ा सवालात को
तुमको जवाब दूँ य़ा गुजरे हालात को
अच्छा नहीं है ऐसे तडपना मेरे हुजूर
कागज की नाव दूँ य़ा दिली ख्यालात को !
मैं नासमझ सही, तुम्हे चाहता तो हूँ
उन बेतरह बयारों की मानता तो हूँ
तुम तो बेकदर बेचैं बेपरवाह जिस तरह
चाँद की छावं दूँ य़ा किसी आफताब को !
ऐसे ही होते हैं आज बेपरदे इस जगह
सुनकर हसी आवाज बेदर्दे जिस जगह
कुछ तो सुनों उनकी सिमटी हुई सौगात
तुमको सवांर दूँ य़ा किसी माहताब को।