मलंग
मलंग
इश्क़ में मलंग
तेरे इश्क़ का क्या कहना
तेरे इश्क़ का क्या कहना
अब तेरे बिना नहीं रहना
कोई कहले जो भी है कहना
तेरे इश्क़ में मलंग मुझे रहना...
तेरे इश्क़ का क्या कहना.....
आँखों का काजल तेरी
मेरी आँखों में आने लगा है
यह कैसा दर्द है मीठा
जो मुझपे छाने लगा है
नींदों में ख़्वाब भी तेरे
तू बन हमसाया रहने लगा है
तेरी लौंग का यह लश्कारा
इस पर फ़िदा यह दिल रहना....
तेरे इश्क़ का क्या कहना
तेरे इश्क़ का क्या कहना
अब तेरे बिना नहीं रहना
कोई कहले जो भी है कहना
तेरे इश्क़ में मलंग मुझे रहना...
तेरे इश्क़ का क्या कहना.....
मेरा हाल न पूछो दिलवर
तुम मेरे दिल कि दवा हो
मैं ख्यालों में ग़ुम तेरे
तू जाने न कहां ग़ुम रहना
तेरे होठों यह तिश्नगी में
मुझे बनकर तेरा मुरीद रहना
गालों की सुर्खियों में तेरी
मैं सुर्खी का रंग बनकर रहना....
तेरे इश्क़ का क्या कहना
तेरे इश्क़ का क्या कहना
अब तेरे बिना नहीं रहना
कोई कहले जो भी है कहना
तेरे इश्क़ में मलंग मुझे रहना...
तेरे इश्क़ का क्या कहना.....

