मकसद
मकसद
तुझे पाना मकसद नहीं मेरा
बस तुझे चाहना है,
तुझे खुद से मिलाने की ख्वाहिश नहीं मेरी
बस तुझे जानना है,
खुद की तलाश थी
तुझसे जब मुलाकात हुई
खुद के साथ तुझे भी पाया
तुझसे जब बात हुई
कुछ अंश बिखरे थे ज़मीन पर
मेरे ख्वाबों के, मेरी चाहतों के
उन्हें समेटते समेटते मिले
कुछ अंश, तेरी चाहतों के
एक छोटा सा डर था
मतलब, लगता तो अभी भी है
क्या वो इज़हार कभी तुम करोगे
जो बातें अनकही अभी भी है।