मजदूर दिवस
मजदूर दिवस
झोंक देते है अपनी सारी मेहनत ,
उन हाथों में ऐश -ओ- आराम की
लकीर नहीं होती,
ज़िंदगी भर उनकी संघर्ष चलती रहती,
कड़ी धूप, नंगे पांव ,
पसीना बहाते जूझते हैं,
उन घरों के छत से तारे दिखाई देते है,
जिम्मेदारी का बोझ उठा कर लादे अपने कंधे में,
परेशानियों का सिखंज दिखे उनके माथे में ,
गरीबी और लाचारी ,
बीमारियों का गहरा असर ,
जितनी ज्यादा धैर्य उतना उनका लम्बा सफ़र ,
पुराने कपड़ों में त्यौहार की ललक ,
हर घड़ी सीखते नये सबक ,
जैसी भी परिस्थिति हो खुद को आदी कर लेते है ,
बिन खाये अपने परिवार को संभालते है ,
क्या मौसम और क्या महीना,
उन्हें तो है हर कमियों को झेलना,
कैसे रुकेंगे वो ,
जो जानते है ,
मेहनत ही उनकी पूंजी है ,
और यही जीवन में जरूरी है।