सुनो
सुनो
सुनो ,तुम एक बार आ जाओ
और वो सब ले जाओ
जो तुमने कभी दिया था मुझे अपना बना कर..
और जो कुछ मैंने सहेज कर रखा है तुम्हारे लिए..
और वो भी जो मैं लाई थी
यहाँ-वहाँ से तुम्हारे लिए..
और वो तुम्हारी चाहत तो मैं तुम्हें
जबरदस्ती ही लौटा देना चाहती हूँ
जिसकी कभी मैं अकेली हक़दार हुआ करती थी
और आज कोई और भी है उसका पर नाज़ करने वाला..
आ जाओ और ले जाओ वापस
अपनी मुहब्बत, चाहत, दीवानगी,
प्यार भरी बातें, वो रूहानी यादें और
और एक टूटा हुआ मेरा दिल..!!
