मिन्नत।
मिन्नत।


कुबूल कर ले मेरी "मिन्नत" को, तेरे दर पर खड़ा फरियादी है।
देना न देना तेरी रहमत, इबादत करना जरूरी है।।
अंदाज़ तेरा निराला है, मेरा मुर्शिद सबसे आला है।
मतवाला जो नूरानी सूरत का, वह कितना किस्मत वाला है।।
हसरत है तेरे वस्ल की, इंतजार का मजा भी अजीब है।
मकबूलियत हासिल की ख्वाहिश, तेरे हाथों में मेरा नसीब है।।
मोहब्बत करना तुमने सिखलाया, फिर किस बात की देरी है।
जन्नत है तेरे बारगाह में, पार लगाना तुम्हारी मजबूरी है।।
मान लिया तुमको खुदा अपना, लाखों की तकदीर संवारी है।
"नीरज" की दुआ तुम्हें पाने की, हसरत अब यही हमारी है।।