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Kawaljeet Gill

Romance

4.5  

Kawaljeet Gill

Romance

मिलते थे कभी हम......

मिलते थे कभी हम......

1 min
333


मिलते थे कभीं हम तुम एक दूजे से दोस्तो की तरह

हमराज़ बन गए थे हम एक दूजे के धरती अम्बर की तरह

क्या तुम्हें आज भी याद है वो हमारे मिलन की घड़ियां

जब हम तुम एक दूजे में खोए रहते थे दिलबरों की तरह

गर जिंदगी होती अपने ही बस मे तो कभीं जुदाई नही मिलती हमको

ये फ़र्ज़ ना निभाने होते तो जिंदगी तेरे साथ हर पल गुजर रही होती

दो राहो पर खड़े थे हम किसी एक को चुनना था मजबूरी हमारी तुम्हारी

जुदाई में भी हम हर पल एक दूजे के ही रहे हमराज़ साथी बनकर

दुनिया बनी हो चाहे लाख दुश्मन हमारी हम दोस्त बन कर जीते रहे हर पल

काश ये जुदाई की बेड़िया अब टूट जाए और हम मिल जाये सदा के लिए

कोई ना हो दुश्मन हमारा हर कोई बन जाये दोस्त हमारा

कट जाएगा फिर ये सफर बचा खुचा हमारा आशिको की आशिकी करते करते ।


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