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Kawaljeet GILL

Romance

4  

Kawaljeet GILL

Romance

मिलते थे कभी हम......

मिलते थे कभी हम......

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मिलते थे कभीं हम तुम एक दूजे से दोस्तो की तरह

हमराज़ बन गए थे हम एक दूजे के धरती अम्बर की तरह

क्या तुम्हें आज भी याद है वो हमारे मिलन की घड़ियां

जब हम तुम एक दूजे में खोए रहते थे दिलबरों की तरह

गर जिंदगी होती अपने ही बस मे तो कभीं जुदाई नही मिलती हमको

ये फ़र्ज़ ना निभाने होते तो जिंदगी तेरे साथ हर पल गुजर रही होती

दो राहो पर खड़े थे हम किसी एक को चुनना था मजबूरी हमारी तुम्हारी

जुदाई में भी हम हर पल एक दूजे के ही रहे हमराज़ साथी बनकर

दुनिया बनी हो चाहे लाख दुश्मन हमारी हम दोस्त बन कर जीते रहे हर पल

काश ये जुदाई की बेड़िया अब टूट जाए और हम मिल जाये सदा के लिए

कोई ना हो दुश्मन हमारा हर कोई बन जाये दोस्त हमारा

कट जाएगा फिर ये सफर बचा खुचा हमारा आशिको की आशिकी करते करते ।


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