मिलन तेरा मेरा
मिलन तेरा मेरा
तु आना उस ओर से
मैं आऊँगा इस छोर से
मिल जायेंगे किसी संगम में
और बँध जायेंगे किसी डोर से
तू सरल सलिल बहती आना
ना आना किसी सोर से
बनकर निर्मल धारा फिर
मिल आयेंगे किसी भोर से
मिलन की लिये प्यास आँखों में
टकराएंगे संगम पे जरा जोर से
दो नदियों से मिल जायेंगे इक-दुज़े में
और कायनात देखेगी हमे बड़ी गौर से