मिल-बिछड़े दिल
मिल-बिछड़े दिल
हम मिलते थे, दिल खिलते थे,
हम इक दूजे पर मिटते थे
तुम मेरे दिल में रहते थे
हम तेरे दिल में बसते थे
अक्सर दुनिया से दूर बहुत
हम दोनों मिलते रहते थे
पेड़ों पर गुल मुस्काते थे
हम प्यार में गोते खाते थे
दिल पंख लगाकर उड़ते थे
हम प्यार के नग़मे गाते थे
लेकिन एक रोज अचानक ही
हम झगड़ा करके बैठे गये
बस इक छोटे से मुद्दे को
बे-वज़ह तूल दे रूठ गये
फिर साथ हमारा छूट गया
ये प्यार भरा दिल टूट गया
अब फोन नहीं हम करते हैं
बस दूर- दूर ही रहते हैं
दिल इंतज़ार भी करता है
सब ध्यान फोन पर रहता है.

