मिज़ाज.....
मिज़ाज.....
ज़माने में सभी ख़ैर ख़ा
फिक्रमंद मिले।
बस एक हमीं से
हमारे मिज़ाज तंग मिले।
ना चाहा किसी का बुरा
ना किया कभी,
फकत आईने से ही
करते जंग मिले।
एक हमीं से
हमारे मिज़ाज तंग मिले।
ना शिकवा किसी से
ना शिकायत रही कभी
प्यार करने के सबके
अपने - अपने ढंग मिले
एक हमीं से हमारे
मिज़ाज तंग मिले।
