महुआ चुनती लड़की
महुआ चुनती लड़की
महुआ चुनती
अपनी गीत में ही
मस्त हुई लड़की
जब हँसती है
तो गिरता महुआ।
मन करता है
खोँस दूँ
उसकी जूृड़ा में
फूलों की डाली
लाल पलाश की।
उसे पहना दूँ माला
लाल सेमल फूल की
वह महूआ चुनती
प्यार की परी।
जब नदी किनारे बैठकर
पैरों से पानी हिलाती है
तब बनता है
हुडरु के जैसा जलप्रपात।
उसकी पायल की रुनझुन
झरना के पानी से
सुर मिलाती है
आती है तितलियाँ
सुनने को पायल की
रुनझुन।
सामने बैठी
पपीहा की जोड़ी
नाचने लगती है
मुस्कान हँसी के साथ
तिरछी नजर वाली
वह महुआ चुनती
लड़की।
मन करता है
उसकी जूड़ा में
खोंस दूँ
फूलों की डाली
अैार खिला दूँ
प्यार की निशानी
एक पुड़िया पान।

