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Preeti Sharma "ASEEM"

Tragedy

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Preeti Sharma "ASEEM"

Tragedy

महंगाई और आम आदमी

महंगाई और आम आदमी

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महंगाई पर आम आदमी शोर तो मचाता है।

फिर अगले ही पल,

सरकार की नीतियों और पार्टी बाजी में,

बीच का रास्ता अख्तियार कर निकल जाता है। 


महंगाई पर आम आदमी शोर तो मचाता है।


खबरों, धरनों, जलसों में हाहाकार कर ,

बढ़ती महंगाई का रोना तो रोए जाता है।


और अपनी ही जरूरतों की चादर,

 फाड़ मीलों आगे निकल जाता है।


महंगाई पर आम आदमी शोर तो मचाता है।

 

फ्री का राशन, बिजली-पानी अन्य सुविधाओं के,

 आंकड़ों का चलन जन-जन तक कितना पहुंच पाता है।


जरूरतमंद को तो मिलता नहीं,

जमाखोरों का गोदाम भर जाता है।


महंगाई का आंकड़ा दिन-ब-दिन और बढ़ जाता है।

जिंदगी की जरूरतों और भूख को पाटते पाटते ।

आम आदमी और महंगाई के बीच का फासला,

जीने की सभी दलीलों को दरकिनार कर जाता है ।



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