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Anandbala Sharma

Drama

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Anandbala Sharma

Drama

महानगर

महानगर

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नीरव रात में

बहुत ऊँची इमारत से

बीच अधर में

ताकती चकित सी

नीचे धरती पर

बौने घरों से झाँकती

बल्बों की टिमटिमाती रोशनी

ऊपर चाँद

नीचे बिखरी चाँदनी

सितारों से भरा आसमान

जैसे उल्टा लटका हुआ हो


और नीचे

बीच चौराहे पर

आते जाते वाहनों के शोर में गुम

अकेली खड़ी मैं आकाशदीप की तरह

गगनचुंबी इमारतों को देखती

लगा जैसे मैं

और भी बौनी हो गई हूँ।


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