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वक़्त, किस्से और ख्वाब

वक़्त, किस्से और ख्वाब

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हर वक़्त है जो अपनी गोद में,

कई किस्से छुपाए हुए हैं,

कई किस्से हैं जो अपने पहलू में,

कई ख्वाब छुपाए हुए।


कई ख्वाब है जिनकी तस्वीर,

रोज़ उमड़-उमड़ कर ऐसे,

सामने आ जाती है जैसे कब से,

अपने सच होने की आस लगाए बैठे हो।


वही ख्वाब जो कल सच होकर,

नए किस्से बन जाएँगे,

उन किस्सों का परचम,

बड़ी ख़ूबसूरती से लहराएगा।


ऐसा लगेगा जैसे वो हर ख्वाब,

तुम्हारी तरफ खुद चल कर आया हो,

ताकि तुम उसे हकीकत,

और यकीन में बदल सको।


पहुँच सको उन ऊँचाइयों पर,

जिसके तुम काबिल हो।


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