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SOUBHAGYABATI GIRI

Children

4.0  

SOUBHAGYABATI GIRI

Children

मेरी प्यारी दादी माँ

मेरी प्यारी दादी माँ

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मेरी प्यारी दादी मां, 

आप कहाँ खो गइं ?

बहत याद आती हे आपकी,

आप तो ममता की एक मूर्ती थीं।

जब मैं छोटी थी तब मुझे रोज जगाया करती थीं,

अपने हाथों से खिलाती थीं,

रोज कहानी सुनाकर अपनी ही गोदी मे सुलाती थीं,

आपकी आंचल के नीचे जन्नत का सुकून मिलता था,

मैं चैन से सो जाती थी।


आपके साथ मे रोज मन्दिर जाती थी,

भगवान से हाथ जोडकर 

मेरे लिए आप भर भर कर दुआएँ देती थीं।

माँ जब डांटती थी तो,

आप ही मुझे गले लगाती थीं,

फिर प्यार से समझाती थीं।

दर्द ना कहने से भी आप समझ जाती थीं।


पता नहीँ उस दिन आप क्युँ रुठ गई,

हम सबको रुलाकर भगवान के पास चली गइं।

प्यारी दादी मा,आप कहाँ खो गई वो सितारों के बीच ?

जब आपकी याद आती है तो

आँसू बहने लग जाते हैं।

दादी मां आप लौट कर चले आओ ना,

मैं आपकी ही प्रतीक्षा कर रही हूँ दादी मां,

आपकी ही प्रतीक्षा कर रही हूँ।



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