वतन के रखवाले
वतन के रखवाले
उठाओ कथाएँ देखो इतिहास
भारत में हर कोइ बीर है ।
सिर्फ बीर का बात नहीं
यहाँ बीराङ्गना भरपुर है।
भारतमाता की आंचल के लीए
जान कुर्बान करते थे ।
आवाज मे भी दुश्मनों का
साँसे थमाना जानते थे।
मुल्क को अपना जान समझ के
अपना जान दे देते थे ।
खुद का गर्दन कटने के बाद भी
दुश्मनों की छाती चीरते थे।
मुल्क की रक्षा के लीए
फाँसी का फन्दा चुमते थे ।
मरते मरते भी सांस रुकने तक
दुश्मनों को मार गिराते थे।
वतन के रखवाले तो अभी भी
सीमा पर
खड़े हैं।
मौत को बाहों मे पाल के
दुश्मनों के साथ लढते है ।
तपती धुप,कडाके की ठण्ड
व कभी खातिर नहीं करते है ।
सर कटा तो सकते हे पर
सर नही झुका सकते है।
बन्दुक के आग से दिवाली
और खुन से होली खलते है ।
उन बीरों के वजह से हम
चेन का नीन्द लेते है।
मरने के बाद भी वो वीर
अमर बन जाते है ।
जन्म देकर जिन वीरोंरों को
माँ-बाप धन्य हो जाते हैं।
उन वीरों को सच्चे दिल से
शत-शत नमन करती हूँ।
देश रक्षा के लिए जान कुर्बान
ये शपथ में करती हूँ।