मैं नारी हुँ
मैं नारी हुँ
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मैं नारी हूँ
पुरुष की भाषा में कमजोर हूँ
उसके हाथों का खिलौना हूँ
चुप रहने वाली बेचारी हूँ
कभी अबला तो कभी दुर्बला हूँ।
मैं नारी हूँ
पहले सोनोग्राफी में दिखती हूँ ,
कभी भृणहत्या का प्रहार सहती हूँ
तो कभी शोषण सहती हूँ
हजार सपने लेके ससुराल जाती हूँ
अच्छे से घर चलाती हूँ
वंशरक्षा के लीए सन्तान पैदा करती हूँ
पर अन्याय का प्रतिरोध नहीँ कर पाती हूँ
सिर्फ ताने सुनकर समय बिताती हूँ।
मैं नारी हूँ
घुंघट के पीछे अनगिनत कहानियाँ छुपाती हूँ
कभी दहेज की आग मैं जलती हूँ
कभी फिर फांसी पे लटक जाती हूँ
कभी सीता बनके अग्निपरीक्षा देती हूँ
कभी द्रौपदी बनके बस्रहरण का सामना करती हूँ
दो दो घर होते हुए भी आज बेघर हूँ
हाँ मैं वही नारी हूँ।
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पर याद रखो मैं नारी हूँ।
बिना पंख के उड जाने बाली बेटी हूँ
लड़ने झगडने वाली बहन हूँ ,
प्यार करने वाली जिबनसंगिनी हूँ
जन्म देकर पालने वाली जननी हूँ
मैं लक्ष्मी हूँ सरस्वती हूँ।
मैं ही राधा हूँ
श्रीकृष्ण की प्रेम मैं खो जाती हूँ
मैं मीराबाई हूँ
प्यार कृष्ण से सुरु करके कृष्ण पर खतम करती हूँ।
हाँ, मैं वही नारी ही हूँ।
मैं नारी हूँ।
जरुरत पडने पर नारी से नारायणी बन जाती हूँ
मैं ही दुर्गा हूँ और मैं ही काली हूँ
मैं महीषामर्द्दिनी हूँचण्डमुण्डबिनाशिनी हूँ।
फिर मैं ही प्रेम हूँ आस्था हूँ
जगतपालिनी हूँ जगतजननी हूँ
ममता की मुरत हूँ।
यु हीँ देखो तो मैं सारी सृष्टी ही हूँ।
फिर विनाश भी मैं ही हूँ
हाँ,मैं वही नारी ही हूँ।