ओ सुबह!
ओ सुबह!
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ओ सुबह! तुम क्यों? इतनी प्यारी हो,
क्यूं तुम मेरी ही दुलारी हो,
ये तुम्हारी चहचाहट, क्यूं मुझको भाती है,
क्यों? तुम्हारी खुशबू ही मुझको रास आती है।
करके सवेरा सबका रौशन,
मेरी सुबह बन जाती हो,
तुम्हारी मुझपर आहें ही काफी,
तुम और प्यार क्यों जताती हो?
ये सादगी क्यों मुझको सिखाती हो?
क्यों नयनसेज पर साज़ सी खनखाती हो?
क्यों मेरी मुस्कुराहट और खिला जाती हो?
ओ सुबह! तुम मुझ पर कैसा जादू कर जाती हो।
