मौसम - ए- त्योहार
मौसम - ए- त्योहार
चिंतित अपने चेहरों पर फिर ले आए हैं मुस्कान
जीवन की दौड़ में उलझे कई हमारे रिश्तेदार
जीना भूल गए थे जो जीने के लिए
नवजीवन देने आया उनको ये मौसम - ए- त्योहार।।
घर - घर जल रहे हैं देखो हर्षोल्लास के दिये
सुनिश्चित कर रहे हैं मिठास उम्र भर के लिए
मुख पर मुस्कान दिल में प्यार
बैरी को मित्र बनाए, यह तो बात है बस व्यवहारों की
मेल मिलाप,हस्सी मज़ाक तो रूह है त्योहारों की।।
उज्जवल बना दे हर दिन को,सांझ में भी मु हब्बतकी रंगत हो
हर दिन जो अकेला ,मेहनत पर कुर्बान किया
आज एक शाम में अपनों की संगत हो
दुख में एक अपना मिलजआए तो क्या बला हजारों की
बिछड़ों को फिर से मिलाना , यही तो नज़ाकत है त्योहारों कि।।
चाहे होली के रंग हो या दीवाली अपनों संग हो
चाहे ईद की हो ईदी या हाथ में राखी संग दीदी
दादा लगआते जगमग तार, या पिताजी भरते दीवार की दरार
बात है यादों के खट्टे मीठे नजारो की
घर का फिर मंदिर बनजाना, सौगात है त्योहारों की।।
