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Lokanath Rath

Romance Classics Inspirational

4  

Lokanath Rath

Romance Classics Inspirational

हमसफ़र.......

हमसफ़र.......

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तुमसे पहले ये जिन्दगी तो था

पर जीने मे कोई खुशी नहीं था

ऐसे ही तो मे जी लिया करता था

कभी खुशी कभी गम भी साथ था


गम की फन्दे मे कैद तो होता था

उस से आजादी भी नहीं सोचा था

उदास तो था पर रोता नहीं था

कियूं की आंसुओं को ये पता भी था


मुझे उनकी मोल मालूम ना था

पर ना जाने दिल मे तड़प था

तुमसे मिलने की जो तय तो था

हमारी मिलना संजोग नहीं था

हम मिले, आँखों को मिलना था


और मेरी आँखे तुम्हे देखता था

तुम्हारी मुस्कान कुछ कहेता था

मेरी दिल को छु लिया करता था

फिर मे सपने देखा करता था

हातो मे हात लिए चलना जो था


तब जीने की तमन्ना भी जगा था

फिर प्यार को महसूस किया था

ये उदास मन आजाद हुआ था

आँखों से आँशु भी मेरा टपका था

वो पहेली बार तो ऐसा हुआ था


तब समझ मे तो नहीं आया था

की वो गम की या मेरी खुशी का था

क्यूं की हमें साथ जो चलना था

हाथ कभी हमें छुड़ाना नहीं था

जिन्दगी भर का ये रिश्ता जो था


कसमें वादों मे वो बंध तो गया था

तेरी मुस्कान,जान बन गया था

जीने की नयी उम्मीदें तो जगा था

चल पड़े थे, हात मे हात तो था

नयी जिन्दगी की शुरुआत तो थी

हमको हमसफ़र बनना था।


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