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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract Classics Inspirational

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract Classics Inspirational

विलेन और नायक

विलेन और नायक

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इंसान के अंदर नायक और विलेन हमेशा रहते हैं 

दोनों आपस में लड़ते रहते हैं

इंसान की प्रवृत्ति के अनुसार

हारते और जीतते रहते हैं ।


जब जब सकारात्मक विचार 

उभरकर सामने आते हैं 

तब तब नायकत्व उभरता है 

और जब नकारात्मकता हावी होती है

तब वह एक विलेन को जन्म देती है । 


"वाल्मीकि" एक डाकू से ऋषि बन गए

विलेन से नायक बनने का 

इससे श्रेष्ठ उदाहरण कोई नहीं है। 

जब तक कर्ण ने खुद को नहीं जाना 

वह एक विलेन ही बना रहा 

जब श्रीकृष्ण ने उसका खुद से परिचय करवाया

तब वह भी अजर अमर हो गया। 


जब तक व्यक्ति खुद को नहीं जानता

एक विलेन उस पर प्रभावी रहता है 

और जब व्यक्ति स्वयं को जान लेता है

तब वह गौतम बुद्ध, विवेकानंद बन जाता है । 


विलेन के कारण ही नायक 

के गुणों का पता चलता है 

अगर जिंदगी में दुख ना हो तो 

सुखों का भी कहां अहसास होता है । 


गुरु की जरूरत इसीलिए हौती है

कि वह आपको सही मार्ग दिखाए । 

ग़लत और सही का मर्म समझाए 

और आपमें नायकत्व को जगाए । 


शुक्राचार्य और वृहस्पति दोनों ही गुरू थे

मगर दोनों विपरीत शक्तियों के गुरु थे 

अहं के कारण दैत्यों के गुरु बने शुक्राचार्य 

जिन्होंने नकारात्मकता को स्थापित किया था


चार महाविकार इंसान को विलेन बनाते हैं 

"काम क्रोध मद लोभ" गर्त में ले जाते हैं 

इन पर विजय पा ली जिसने 

समाज में वही नायक कहलाते हैं।


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