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GAUTAM "रवि"

Abstract Romance Classics

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GAUTAM "रवि"

Abstract Romance Classics

बदलाव

बदलाव

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बदल गयी सब ऋतुएं अब, बदल गए हैं सब मौसम,

बदल गयी तुम भी प्रिये, बदल ना पाया ये "गौतम"

टूटा सा है मन मेरा और बिखरा बिखरा सब,

अब तो बस यूँ लगता जैसे रूठा हो वो रब,


बदले बदले अहसास सभी, बदले हैं सारे जज़्बात,

बदल गये हैं बादल भी, बदल चुकी है ये बरसात,

बदल गयी हैं यादें सब, बदल गये हैं सब हालात,

जैसे दिन ढ़ला अभी था, फ़िर आ गयी हो रात,


कहते हैं सच्चा जीतेगा, हो कोई भी बात,

यहाँ तो तुम जीत गयीं, मेरी हुई है मात,

तन्हा हूँ, गुमनाम सा, हैं खाली खाली हाथ,

है परेशान "रवि" बहुत, कोई नहीं है साथ।


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