दफ्तर की यारियां
दफ्तर की यारियां
दफ्तरों का भी एक अलग ही माहौल होता है
कभी यारी दोस्ती तो कभी दंगा फसाद होता है
एक दूसरे को नीचा दिखाने में कसर नहीं छोड़ते
मगर संकट के समय सहायता भी सब हैं करते
सबके साथ चाय पीने का भी अलग आनंद है
लंच में सब्जी, रोटी शेयर करना बहुत पसंद है
किस्से कहानियों के दौर चलते हैं लंच के दौरान
"शर्त" हारने जीतने से हो जाते कभी सब हैरान
चाय पिलाकर काम निकलवाने में मजा आता है
किसी किसी को चिढ़ाने में बड़ा आनंद आता है
दिन भर छींटाकशी और मज़ाक साथ चलती हैं
कुछ कुछ ऐसी ही यारियां दफ्तरों में भी पलती हैं।
