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PRATAP CHAUHAN

Abstract Classics Inspirational

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PRATAP CHAUHAN

Abstract Classics Inspirational

कवि की कविता

कवि की कविता

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कवि की कविता का क्या कहना !

 जितना सीखा उतना कहना।

 यदि नहीं मिले लिखने को शब्द,

 करि बंद कलम…हद में रहना।।


धरती का कण-कण कहता है,

घटना-क्रम क्रम से घटता है|

 जितना जीवन आनंद बड़े,

उतना भय पल-पल बढ़ता है||


संत सुजन मंडल के लिए,

नारीत्व जगत ब्रह्मांड रहे ।

जिसकी छाया में भविष्य पले,

वह धन्य धरा भी अखंड रहे ॥


कण-कण में सबने देखा है ,

भवप्रीता भव्य सुरेखा है।

जो भूल गया है मूल-मंत्र ,

उसका जीवन अनदेखा है॥


कवि की कविता का क्या कहना !

 जितना सीखा उतना कहना।

 यदि नहीं मिले लिखने को शब्द,

 करि बंद कलम हद में रहना।


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