कवि की कविता
कवि की कविता
कवि की कविता का क्या कहना !
जितना सीखा उतना कहना।
यदि नहीं मिले लिखने को शब्द,
करि बंद कलम…हद में रहना।।
धरती का कण-कण कहता है,
घटना-क्रम क्रम से घटता है|
जितना जीवन आनंद बड़े,
उतना भय पल-पल बढ़ता है||
संत सुजन मंडल के लिए,
नारीत्व जगत ब्रह्मांड रहे ।
जिसकी छाया में भविष्य पले,
वह धन्य धरा भी अखंड रहे ॥
कण-कण में सबने देखा है ,
भवप्रीता भव्य सुरेखा है।
जो भूल गया है मूल-मंत्र ,
उसका जीवन अनदेखा है॥
कवि की कविता का क्या कहना !
जितना सीखा उतना कहना।
यदि नहीं मिले लिखने को शब्द,
करि बंद कलम हद में रहना।
