किताब है ज़िंदगी की
किताब है ज़िंदगी की
पढ़ी जो शाइरी किताब है
लिखी ज़िंदगी की किताब है
सुनाऊँ भला क्या तुझे पढ़के
यहाँ बेबसी की किताब है
वफ़ा का नहीं लफ्ज़ है कोई
ऐसी आशिक़ी की क़िताब है
उदासी भरे खूब है पन्ने
न कोई ख़ुशी की किताब है
अकेले पढ़ा जा रहा जीवन
नहीं दोस्ती की किताब है
उसे यारी का क्या ज़वाब दूँ
भेजी दुश्मनी की किताब है
ख़ुशी का नहीं लफ्ज़ है आज़म
यहाँ तो दुखी की किताब है।
