STORYMIRROR

नविता यादव

Abstract

4  

नविता यादव

Abstract

मेरी परी

मेरी परी

1 min
534

नन्हीं सी परी मेरी, उड़ने लगी है

मासूम सी नटखट गुड़िया चेहकने लगी है,

खिलखिला उठता है,मेरा घर आंगन,

गूंज उठता है एक - एक अंजुमन

जब नाचे है,वो छम छम छम छम।


हम सब का मन हर्षाए,

मधुर आवाज मन शीतल कर जाए

जब गुस्सा हो, ज्वालामुखी शरमा जाएं,

जब शांत हो, मस्त पवन बन इतराए

एक - एक बोल, लगे अनमोल

उसका साथ जीवन में ताज़गी लाएं।


नखरा न कोई, दुखड़ा न कोई

अपने आप में मस्त,अनमोल रतन हो कोई

हमारी जिंदगी की वो चाहत

हमारी वो खुशी

हमारी प्यारी, एक नन्हीं परी।


ಈ ವಿಷಯವನ್ನು ರೇಟ್ ಮಾಡಿ
ಲಾಗ್ ಇನ್ ಮಾಡಿ

Similar hindi poem from Abstract