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Phool Singh

Tragedy

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Phool Singh

Tragedy

मेरी लेखनी

मेरी लेखनी

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लोग कह देते अब निखार है, कथनी करनी से हमको प्यार है

लिख देते जो होते देखते, सच्चाई से हमकों बहुत प्यार है ।।


कोशिश करते बेहतर देने की पर, अनुभव/ज्ञान कमी हजार है

तन, मन, धन तो साथ ना देता, पर लेखनी जीवनाधार है ।।


प्रेम से रहेंगे कैसे लोग भी, बीच ऊंच-नीच की बड़ी दीवार है

संस्कार के मोहताज हैं सारे, कटु लोगों का क्यूँ व्यवहार है ।।


नहीं दबेगा जो कुछ नहीं चाहता, पाने वाला ही बेकरार है

दुम हिलाता रहे हमेशा, वो चलती फिरती नंगी तलवार है।।


दान-धर्म व्यापार हो गाय, सब झूठ, फरेब का माया जाल है

सरल साधारण अश्रु बहाता, दुष्ट लोगों की चाँदी यार है ।।


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