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Nikki Sahu

Drama

4.0  

Nikki Sahu

Drama

मेरी दादी

मेरी दादी

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मेरी दादी न तो लाड़ लड़ाती थी

न नखरे उठाती थी

पर कहानी सुनाती थी

पहेलियाँ बुझती थी।


वो नये प्रवह की एक धारा थी

समझो तो गागर में सागर थी

वो अपने आप में ही सम्पूर्ण थी

विचारो में पर्वत सी अडिग थी।


तेवर से तीखी थी

बेबाक थी

वो गुणों में सरस्वती थी।

मेरी दादी...।।


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