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Nikki Sahu

Inspirational

5.0  

Nikki Sahu

Inspirational

माँ (तुम्हें अल्फाज़ो में..)

माँ (तुम्हें अल्फाज़ो में..)

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तुम्हें अल्फाज़ो में बुन दूँ

मेरी औकात नहीं

तुम्हें अल्फाज़ो में बुन दूँ

मेरी औकात नहीं

तुम प्रेम की मुर्ति हो, धैर्य की परिकष्ठता हो।

तुम चंदन की सुगंध हो, गृंथ सी पवित्र हो।

तुम्हारी ममता को वयां कर पाऊं।

इस बांहृण में वो शब्द भण्डार ही नहीं

तुम्हें अल्फाज़ो में बुन पाऊँ

मेरी औकात नहीं

सच कहूँ, तुम सोच के परे हो।

तुम नदी की धार हो, कभी-कभी शीतल,

कभी-कभी काली का अवतार हो,

तुम अंत भी करती हो तो आरंभ होता है

जग जननी की, जग का आधार हो तुम।

ईश्वर का सर्वश्रेष्ठ वरदान हो तुम।

तुम्हें अल्फाज़ो में बुन पाऊँ

मेरी औकात नहीं

याद है मुझे, आँख हमारी नम थी रोयीं तुम थी।

खाना हमे खिलाकर भूंखे पेट सोयी तुम थी।

संघर्ष कर निखार दिया जीवन हमारा।

माँ अल्फाज़ ही नही वो, तुम्हें कविता का सार बनाऊँ।

वो शब्द भण्डार ही नही,

तुम क्या हो "माँ" बयां कर पाऊं।

तुम्हें अल्फाज़ो में बुन दूँ,

मेरी औकात नहीं ।




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