कविता चंचल मन को गति देती है।
उसे झोंक दो अंगारों में जो बलात्कारी आजाद है। उसे झोंक दो अंगारों में जो बलात्कारी आजाद है।
तुम चाँद की शीतलता भी, सूरज का ताप सा लगता है। तुम चाँद की शीतलता भी, सूरज का ताप सा लगता है।
जो मुझे बेशुमार प्यार करती है माँ की ममता की छाया देती है। पिता की तरह सहला भी देती है। ... जो मुझे बेशुमार प्यार करती है माँ की ममता की छाया देती है। पिता की त...
याद है मुझे, आँख हमारी नम थी रोयीं तुम थी। खाना हमे खिलाकर भूंखे पेट सोयी तुम थी। संघर्ष कर निखार ... याद है मुझे, आँख हमारी नम थी रोयीं तुम थी। खाना हमे खिलाकर भूंखे पेट सोयी तुम थ...
तेवर से तीखी थी बेबाक थी वो गुणों में सरस्वती थी। मेरी दादी...। तेवर से तीखी थी बेबाक थी वो गुणों में सरस्वती थी। मेरी दादी...।
यह बन्धन दोस्ती से शुरु होता है और प्यार में बदल जाता है। यह बन्धन दोस्ती से शुरु होता है और प्यार में बदल जाता है।