Dr Lalit Upadhyaya
Drama
मैं मरी हूँ
मेरी आत्मा जिन्दा है,
लोग अब भी मेरी
सूरत पर फिदा है।
दूर हो गए लेकिन
कहाँ हम जुदा है,
आत्मा मेरी, पिंजरे में
बंद परिंदा है।
कल्याणी है ना...
प्रकृति का मं...
उत्तर प्रदेश ...
वोट है जरूरी
ऊंट किस करवट ...
खेला होवे ?
चलें प्रकृति ...
माँ का आशीर्व...
घर में बीते ब...
क्या कहूँ?
जैसा बोते वैसा काटते, कई ख्वाब बिलौते।। जैसा बोते वैसा काटते, कई ख्वाब बिलौते।।
नाचो, गाओ सब हिंद सैनिकों को दुआएं दो, जीभर। नाचो, गाओ सब हिंद सैनिकों को दुआएं दो, जीभर।
पहला महीना ही बड़ी मुश्किल से गुजरा था मेरा और एक तरफ वो था, जो हप्ते दर हप्ते बदल रहा पहला महीना ही बड़ी मुश्किल से गुजरा था मेरा और एक तरफ वो था, जो हप्ते दर हप्त...
जिस वक़्त के पीछे पड़ा था मैं पहले, अब ये उस वक़्त को मेरे पीछे लगा के चली गयी है। जिस वक़्त के पीछे पड़ा था मैं पहले, अब ये उस वक़्त को मेरे पीछे लगा के चली गयी ...
चाहें कैसी भी हों, एक बहन तो होनी ही चाहिए। चाहें कैसी भी हों, एक बहन तो होनी ही चाहिए।
जीने की वजह छूट गई, बस बची थी यादें बाकी रह गई। जीने की वजह छूट गई, बस बची थी यादें बाकी रह गई।
सब वतन का गौरव और बढ़ाएं, जैसे अब तक बढ़ाया। सब वतन का गौरव और बढ़ाएं, जैसे अब तक बढ़ाया।
सुनो तो ना किसी को पाएंगे लेकिन, अब तुझको ना भूल पाएंगे, सुनो तो ना किसी को पाएंगे लेकिन, अब तुझको ना भूल पाएंगे,
जिसने सुना और सुनाया उसकी कटी भवबाधा सारी।। जिसने सुना और सुनाया उसकी कटी भवबाधा सारी।।
बिना एक स्त्री के, संग साथ के होता, कहां मैं पूरा हूं। हां, मैं पुरुष हूं। बिना एक स्त्री के, संग साथ के होता, कहां मैं पूरा हूं। हां, मैं पुरुष ह...
सुन लो तुम अरज हमारी आयी मैं द्वार तिहारी। सुन लो तुम अरज हमारी आयी मैं द्वार तिहारी।
कोशिश करो, संघर्ष से कतई भी न डरो, प्यारे आज न कल होंगे, कोशिश से जमीं पे सितारे। कोशिश करो, संघर्ष से कतई भी न डरो, प्यारे आज न कल होंगे, कोशिश से जमीं पे सित...
तुम्हारी याद, तुम्हारा एहसास, तुम्हारी अनुभूति, तुम्हारा स्नेह, तुम्हारी बोतल में बंद तुम्हारी याद, तुम्हारा एहसास, तुम्हारी अनुभूति, तुम्हारा स्नेह, तुम्हारी बोत...
जब जब सावन का महीना आता है, बेवफ़ाई का अफ़साना याद आता है। जब जब सावन का महीना आता है, बेवफ़ाई का अफ़साना याद आता है।
इसी को कहते हैं कूटनीति की राजनीति इसी को कहते हैं कूटनीति की राजनीति
जुगनू बनकर वही चमकता है,रे इस संसार जिसके खुद के भीतर ही हो रोशनी पारावार। जुगनू बनकर वही चमकता है,रे इस संसार जिसके खुद के भीतर ही हो रोशनी पारावार।
आज मैं समझी जीवन का रस भरा दुख जब दुख के सफर में भी मिला सुख। आज मैं समझी जीवन का रस भरा दुख जब दुख के सफर में भी मिला सुख।
बहुत पीछे छूट गए, कैसे बयां करूँ लफ़्ज़ों में कि क्या कुछ नहीं पीछे छूट गया। बहुत पीछे छूट गए, कैसे बयां करूँ लफ़्ज़ों में कि क्या कुछ नहीं पीछे छूट गया।
हमारे आदरणीय प्रधान मंत्री को जन्मदिन की शुभकामनाएँ। हमारे आदरणीय प्रधान मंत्री को जन्मदिन की शुभकामनाएँ।