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Dr. Nidhi Priya

Romance

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Dr. Nidhi Priya

Romance

मेरे तुम

मेरे तुम

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जब कभी टूट कर बिखर जाती हूँ

मैं तुम्हें दिल के बहुत पास कहीं पाती हूँ।

मुस्कुराते हो तुम तो यूँ लगता है

गमों की भीड़ से जैसे मैं निकल जाती हूँ।

मुझे संभालो मुझे सहारा दो

मेरे साहिल मुझे किनारा दो।

उलझनों के दरिया में मैं तो डूबी जाती हूँ

जब कभी टूट कर बिखर जाती हूँ।

मैं तुम्हे दिल के बहुत पास कहीं पाती हूँ।


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