मेरे मोहल्ले में एक बालक
मेरे मोहल्ले में एक बालक
मेरे मोहल्ले में एक बालक रहता है
जो न जाने किस दुनिया का हिस्सा है
उसको देख मैं सारा ग़म भूल जाता हूँ
क्या बताऊँ बिल्कुल उसका हो जाता हूँ
पूरी दुनिया उसमें ही घूम आता हूं
मेरे मोहल्ले में एक बालक रहता है
दुनियाभर की ज़ालिम आफत को मैं,
उसको सुनते ही सब भूल जाता हूं
क्या बताऊँ वह कितना प्यार बालक,
जिसको गोद लेते ही मैं दरिया हो जाता हूं
शायद मेरे जीवन का वह सूरज हो, तब ही;
उसको देख मैं, इतना चमकीला हो जाता हूं !
मेरे मोहल्ले में एक बालक रहता है
हो सकता है वह हो एक मनोवैज्ञानिक
जो मेरे अंदर तक क्रांति ला देता हैं
मरता मेरे आँगन में फ़िर, खुशियां वह भर देता हैं !
मेरे मोहल्ले में एक बालक रहता है।
उसके अंदर इतनी जादुई नखरे,
न जाने रोज कौन भर देता हैं !
मुखड़े पर रोज इतना तेज़,
न जाने रोज कौन सूरज धर देता हैं !
मेरे मोहल्ले में एक बालक रहता है।
जब वह बालक अंकल बोल चूमता मुझको,
उस पल नस-नस में मेरे प्राण भर देता हैं
टूटी दिल की पथ को पल में वह बालक,
एक चुंबन से, मुस्कुरा उस पल भर देता हैं !
मेरे मोहल्ले में एक बालक रहता है।
