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Fahima Farooqui

Romance

4.2  

Fahima Farooqui

Romance

मेरे लफ्ज़ में तुम

मेरे लफ्ज़ में तुम

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मेरे हर एहसास में तुम हो।

मेरे हर लफ्ज़ में तुम हो।


तुम हो मेरे सवाल में और,

मेरे सब जवाब में तुम हो।


तुम हो हाथ की लकीर में,

मेरी हर तहरीर में तुम हो।


तुम हो आँख की नमी में,

होठों की हँसी में तुम हो।


तुम  हो ख़्वाब का आसमां,

ज़मीं-ए-हक़ीक़त में तुम हो।


तुम्ही से होती हर सुबह मेरी,

बसे मेरी हर शाम में तुम हो।


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